पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री sukhbir singh badal ने अकाली दल अध्यक्ष पद से दिया इस्तीफा

शिरोमणि अकाली दल (Shiromani Akali Dal News) के प्रमुख और पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल (Sukhbir Singh Badal) ने अपने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। पार्टी के उपप्रधान डॉ. दलजीत सिंह चीमा (Dr. Daljit Singh Cheema) ने यह जानकारी दी।

इस इस्तीफे का ऐलान ऐसे समय में हुआ है जब सुखबीर बादल को श्री अकाल तख्त साहिब (Akal Takht Sahib) द्वारा तनखाहिया घोषित किया गया है। धार्मिक सजा का ऐलान अभी बाकी है, लेकिन पार्टी पर बढ़ते दबाव और राजनीतिक परिस्थितियों के बीच यह बड़ा कदम उठाया गया।


पार्टी नेतृत्व में बदलाव की शुरुआत

सुखबीर सिंह बादल ने अपना इस्तीफा वर्किंग कमेटी को सौंप दिया है। उन्होंने पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं का आभार व्यक्त किया, जिन्होंने उनकी लीडरशिप पर भरोसा जताया। उनके इस्तीफे के बाद पार्टी में नेतृत्व बदलने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। माना जा रहा है कि पार्टी के उपप्रधान डॉ. दलजीत सिंह चीमा को इस पद की जिम्मेदारी दी जा सकती है। हालांकि, उनकी नियुक्ति की प्रक्रिया में समय लग सकता है।


पार्टी की गिरती स्थिति और नाराजगी के कारण

2007-2017 तक अकाली दल और भाजपा गठबंधन की सरकार में कई विवादास्पद फैसले लिए गए, जिनमें श्री गुरु ग्रंथ साहिब (Guru Granth Sahib) की बेअदबी की घटनाएं, डेरा सच्चा सौदा प्रमुख को माफी देने का फैसला और सुमेध सैणी को डीजीपी बनाने जैसे मुद्दे शामिल हैं। इन फैसलों से पंथक वोट बैंक में भारी रोष पैदा हुआ।

2017 के विधानसभा चुनावों में अकाली दल की स्थिति बेहद खराब हो गई। पार्टी 59 सीटों से घटकर मात्र 15 सीटों पर सिमट गई। 2022 के विधानसभा चुनाव में यह प्रदर्शन और कमजोर हो गया, जिससे पार्टी के लिए नई रणनीति बनाने की जरूरत महसूस हुई।


हार के कारणों पर बनी कमेटी

पार्टी की लगातार गिरती स्थिति को देखते हुए, पूर्व विधायक इकबाल सिंह झूंदा (Iqbal Singh Jhunda) की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई। इस कमेटी ने पार्टी की हार के कारणों का विश्लेषण किया और अपनी रिपोर्ट में सभी नेताओं को अपने पद छोड़ने की सिफारिश की।

कमेटी की रिपोर्ट में अप्रत्यक्ष रूप से सुखबीर बादल के इस्तीफे का सुझाव दिया गया था। रिपोर्ट के बाद पार्टी पर इस्तीफे का दबाव बढ़ता गया, जिससे पार्टी दो हिस्सों में बंटने की स्थिति तक आ गई।


धार्मिक विवाद और श्री अकाल तख्त पर पेशी

श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघुबीर सिंह ने सुखबीर बादल को तनखाहिया घोषित किया। इसके बाद सुखबीर ने श्री अकाल तख्त पर पेश होकर अपनी सरकार की गलतियों को स्वीकार किया और इसकी पूरी जिम्मेदारी ली। धार्मिक सजा का ऐलान अभी बाकी है, लेकिन यह मुद्दा पार्टी की स्थिति को और कमजोर कर रहा था।


स्वास्थ्य समस्याओं के बीच इस्तीफा

इस्तीफे से दो दिन पहले सुखबीर बादल जत्थेदार से मिलने गए थे। इस दौरान एक कुर्सी से गिरने के कारण उनकी टांग में फ्रैक्चर हो गया, और उन्हें सर्जरी करानी पड़ी। स्वास्थ्य समस्याओं के बीच उन्होंने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया।


आपात बैठक में होगा बड़ा फैसला

पार्टी के कार्यकारी प्रधान बलविंदर सिंह भूंदड़ (Balwinder Singh Bhundar) ने 18 नवंबर को पार्टी मुख्यालय चंडीगढ़ में वर्किंग कमेटी की आपात बैठक बुलाई है। इस बैठक में सुखबीर बादल के इस्तीफे पर चर्चा की जाएगी। इसके साथ ही अध्यक्ष पद और अन्य प्रमुख पदों के लिए नए नेताओं की नियुक्ति पर भी विचार होगा।


पार्टी की भविष्य की रणनीति

शिरोमणि अकाली दल अब नए नेतृत्व और नई रणनीति की ओर बढ़ रहा है। पार्टी के लिए पंथक वोट बैंक को दोबारा मजबूत करना और संगठन में एकता लाना सबसे बड़ी प्राथमिकता होगी।

डॉ. दलजीत सिंह चीमा जैसे अनुभवी नेता को अगर पार्टी की कमान सौंपी जाती है, तो इससे पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं में एक नई ऊर्जा आ सकती है।


FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)

Q1: सुखबीर सिंह बादल ने इस्तीफा क्यों दिया?
सुखबीर बादल ने श्री अकाल तख्त साहिब द्वारा तनखाहिया घोषित होने और पार्टी के भीतर बढ़ते दबाव के कारण इस्तीफा दिया।

Q2: नए अध्यक्ष कौन हो सकते हैं?
माना जा रहा है कि पार्टी के उपप्रधान डॉ. दलजीत सिंह चीमा को अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी दी जा सकती है।

Q3: अकाली दल की गिरती स्थिति के लिए कौन जिम्मेदार है?
पार्टी के पिछले कार्यकाल में विवादास्पद फैसलों और श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी जैसे मामलों ने पंथक वोट बैंक को नुकसान पहुंचाया।

Q4: क्या पार्टी के अन्य नेताओं पर भी इस्तीफे का दबाव है?
जी हां, इकबाल सिंह झूंदा कमेटी ने पार्टी के सभी वरिष्ठ नेताओं को अपने पद छोड़ने की सिफारिश की है।

Q5: 18 नवंबर की बैठक में क्या होगा?
इस बैठक में सुखबीर बादल के इस्तीफे और नए नेतृत्व की नियुक्ति पर चर्चा होगी।

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