Diwali 2024: दिल्ली और कोलकाता की हवा में ज़हर, जयपुर का AQI 300 के पार पहुंचा!

Diwali 2024: दीवाली का त्योहार हर भारतीय के लिए खास होता है। यह मौका होता है परिवार, दोस्तों और अपनों के साथ खुशियां मनाने का। हर साल की तरह इस साल भी देशभर में दिवाली की धूम है; घर, गलियां और बाजारें रोशनी से जगमगा रही हैं। लेकिन जैसे-जैसे रोशनी के दीप जलते हैं, वैसे-वैसे हमारे शहरों की हवा भी धुएं और प्रदूषण से भारी होती जा रही है। दिल्ली, जयपुर, कोलकाता जैसे शहरों की वायु गुणवत्ता दीवाली के बाद बेहद खराब हो गई है।

दिल्ली की हवा में जहर और पटाखों पर लगा बैन बेअसर

दिल्ली में वायु प्रदूषण कोई नई बात नहीं है, लेकिन दीवाली पर इसका स्तर बहुत बढ़ जाता है। इस बार भी सरकार ने दिल्ली में पटाखों पर बैन लगाया था, लेकिन फिर भी लोगों ने जमकर पटाखे फोड़े। गुरुवार शाम से ही दिल्ली-एनसीआर में पटाखों का शोर और धुआं फैलने लगा। इसके परिणामस्वरूप, दिल्ली की हवा गंभीर स्तर पर पहुंच गई है। आंकड़ों के अनुसार, पटाखों की वजह से दिल्ली का AQI (एयर क्वालिटी इंडेक्स) खतरनाक स्थिति में पहुंच गया है, जो कि लोगों की सेहत के लिए बेहद हानिकारक है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह का प्रदूषण सांस की बीमारियों को बढ़ा सकता है, खासतौर से बच्चों, बुजुर्गों और अस्थमा के मरीजों के लिए।

राजस्थान में भी दिवाली का जोश और बढ़ता प्रदूषण

राजस्थान के शहरों में भी दिवाली पर प्रदूषण का स्तर बढ़ता जा रहा है। जयपुर का AQI 350 के पार जा चुका है, जो कि बहुत खतरनाक स्थिति को दर्शाता है। जयपुर के अलावा, राजसमंद, भिवाड़ी, बीकानेर, और चुरू जैसे शहरों में भी हवा की गुणवत्ता खराब स्तर पर पहुंच गई है। राजस्थान के लोग भी दीवाली के मौके पर पटाखे फोड़ने से नहीं रुके, जिससे हवा में प्रदूषण के कण बढ़ गए हैं। पटाखों का असर ऐसा है कि अब इन शहरों में लोगों को सांस लेने में परेशानी हो रही है।

कोलकाता में प्रदूषण का स्तर चिंताजनक

कोलकाता में भी प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ा है। दीवाली की रात पटाखों के धुएं ने कोलकाता की हवा को भी जहरीला बना दिया है। शहर का AQI स्तर 100 से अधिक हो गया है, जो कि अस्वास्थ्यकर माना जाता है। विशेषज्ञों ने बताया है कि पटाखों से निकलने वाला धुआं सांस संबंधी समस्याओं को गंभीर कर सकता है, विशेषकर बुजुर्गों और अस्थमा के मरीजों के लिए। जैसे-जैसे कोलकाता में ठंड का मौसम आएगा, वैसे-वैसे हवा में यह प्रदूषण और बढ़ेगा, जो चिंताजनक स्थिति है।

प्रदूषण से होने वाली स्वास्थ्य समस्याएं और समाधान

पटाखों से होने वाला प्रदूषण न केवल हमारे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि हमारी सेहत पर भी बुरा असर डालता है। इस प्रदूषण में PM 2.5 और PM 10 जैसे हानिकारक कण होते हैं, जो फेफड़ों में जाकर सांस संबंधी बीमारियों को जन्म देते हैं। बच्चों, बुजुर्गों और अस्थमा के मरीजों को इसके कारण सांस लेने में दिक्कत होती है। इसलिए, जरूरी है कि हम प्रदूषण कम करने के उपाय अपनाएं।

एक बेहतर विकल्प यह है कि लोग पटाखों की जगह ईको-फ्रेंडली आतिशबाजी और इलेक्ट्रॉनिक पटाखों का इस्तेमाल करें। यह न केवल पर्यावरण के लिए सुरक्षित होता है, बल्कि लोगों की सेहत पर भी असर कम डालता है।

क्या है समाधान? हरा-भरा और सुरक्षित दीवाली मनाने के उपाय

हमारी संस्कृति और परंपराएं हमें अपने त्योहारों को पूरे जोश के साथ मनाने का मौका देती हैं। लेकिन आधुनिक दौर में हमें अपने पर्यावरण और स्वास्थ्य का भी ध्यान रखना जरूरी हो गया है। कुछ आसान उपाय अपनाकर हम इस दिवाली को हरा-भरा और सुरक्षित बना सकते हैं:

  1. दीप जलाएं, पटाखों से बचें: घर में मिट्टी के दीप जलाएं और इलेक्ट्रॉनिक लाइट्स का इस्तेमाल करें, इससे न केवल घर की शोभा बढ़ती है बल्कि प्रदूषण भी नहीं होता।
  2. हरित पटाखे चुनें: यदि पटाखे फोड़ने का मन हो, तो हरित पटाखों का चुनाव करें, जो कम धुआं और शोर करते हैं।
  3. सोशल मीडिया पर जागरूकता बढ़ाएं: अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रदूषण और इसके खतरों के बारे में जागरूकता फैलाएं। इससे दूसरों को भी प्रेरणा मिलेगी।

दीवाली का असली मतलब: खुशियां बांटना और पर्यावरण की रक्षा करना

दीवाली का असली मतलब सिर्फ रोशनी, पटाखों और धूम-धड़ाके में नहीं है। यह त्योहार खुशियां बांटने, अपनों के साथ वक्त बिताने, और अपने चारों ओर सकारात्मकता फैलाने का संदेश देता है। ऐसे में, हमें यह समझना होगा कि प्रदूषण को रोककर हम अपने समाज और पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं।

इस दिवाली आइए एक ऐसा संदेश दें जो हमारी आने वाली पीढ़ियों को स्वस्थ और सुरक्षित वातावरण दे सके।

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