8वीं में पढ़ाई छोड़ने वाली महिला ने रचा इतिहास: Ruma Devi की प्रेरणादायक कहानी

Ruma Devi एक हेंडीक्राफ्ट का काम करती है,और इन्होने दूसरी महिलाओ को भी प्रोत्साहित किया है इनके डिज़ाइन काफी अचे रहते है आप इनकी वेबसाइट पे जाके भी देख सकते हो!

रुमा देवी barmer से है, अगर आपको भी किसी काम को करने में रूचि है, तो बिना झिझक के उस काम को करना शुरू कर दो। आज Ruma Devi इस मुकाम पे आगयी है की की उनको हॉवर्ड यूनिवर्सिटी जैसे बड़ी सभा में स्पीकर के रूप में invite किया गया उनको भी काफी मुस्किलो का सामना करना पड़ा था।

राजस्थान के बाड़मेर जिले की एक साधारण महिला, Ruma Devi, आज नारी सशक्तिकरण का प्रतीक बन चुकी हैं। संघर्षों से भरे जीवन ने उन्हें कभी हारने नहीं दिया और उन्होंने अपनी मेहनत और हुनर से न केवल अपना बल्कि हजारों महिलाओं का जीवन भी बदला।


Who Is Ruma Devi ?

1988 में बाड़मेर जिले के रावतसर गांव में जन्मी Ruma Devi की ज़िंदगी शुरू से ही कठिनाइयों से भरी रही। मात्र 4 साल की उम्र में मां का साया सिर से उठ गया।

Ruma devi

आठवीं कक्षा तक पढ़ाई करने के बाद, अन्य ग्रामीण लड़कियों की तरह उनकी शिक्षा भी छीन ली गई और शादी कर दी गई।


दर्द भरे जीवन ने दी नई दिशा

17 साल की उम्र में मां बनने के 48 घंटे बाद ही उनके बेटे की मृत्यु हो गई। इस घटना ने उन्हें गहराई से झकझोर दिया। उन्होंने फैसला किया कि वे कुछ ऐसा करेंगी, जिससे खुद का और अपने परिवार का जीवन बेहतर हो सके।

बचपन में अपनी दादी से सीखी कशीदाकारी के हुनर को उन्होंने अपने संघर्ष का हथियार बनाया। उन्होंने स्वयं सहायता समूह का गठन किया और कशीदाकारी का कार्य शुरू किया।


22,000 महिलाओं को बनाया आत्मनिर्भर

2010 में ग्रामीण विकास एवं चेतना संस्थान से जुड़कर रूमा देवी ने बाड़मेर के हर गांव और ढाणी में सेंटर स्थापित किए। उन्होंने महिलाओं को स्किल विकास, डिजाइन विकास, सिलाई प्रशिक्षण, और वित्तीय साक्षरता जैसे कई पहलुओं में प्रशिक्षित किया।

उनके नेतृत्व में:

  • हजारों स्वयं सहायता समूह बनाए गए।
  • महिलाओं को क्राफ्ट प्रदर्शनियों और फैशन शो के जरिए अपने हुनर को दिखाने का मंच मिला।
  • 22,000 से अधिक महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया गया।

अंतरराष्ट्रीय पहचान और पुरस्कार

रूमा देवी को राष्ट्रपति द्वारा नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

  • वे केबीसी में नारी शक्ति की पहचान के रूप में आमंत्रित हो चुकी हैं।
  • हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में आयोजित एक कॉन्फ्रेंस में उन्होंने अपनी कला का प्रदर्शन किया और छात्राओं को कशीदाकारी की बारीकियां सिखाईं।

FAQs: रूमा देवी और उनकी प्रेरणा

Q1: रूमा देवी का सबसे बड़ा योगदान क्या है?
Ans: उन्होंने 22,000 से अधिक महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाते हुए ग्रामीण क्षेत्रों में महिला सशक्तिकरण की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

Q2: रूमा देवी को कौन-कौन से पुरस्कार मिले हैं?
Ans: उन्हें नारी शक्ति पुरस्कार समेत कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।

Q3: हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में उनका क्या योगदान रहा?
Ans: हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में उन्होंने स्पीकर के रूप में हिस्सा लिया और छात्राओं को कशीदाकारी की कला सिखाई।

Q4: उनके काम से बाड़मेर की महिलाओं को कैसे लाभ हुआ?
Ans: उन्होंने महिलाओं को प्रशिक्षित कर उन्हें रोजगार के साधन उपलब्ध कराए और उनके उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई।


रूमा देवी का जीवन हमें सिखाता है कि परिस्थितियां चाहे कितनी भी कठिन क्यों न हों, अगर हौसला और मेहनत हो तो किसी भी ऊंचाई को छुआ जा सकता है।

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